Book Title: Samyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak Author(s): Parvati Sati Publisher: Kruparam Kotumal View full book textPage 8
________________ शास्त्रीमें. सम्यक्त्व सूर्योदय जैन. रु. १) " सम्यक्त्व " अथवा " धर्मका दरवाना" किमत रु. ०. ( सम्यक्त्व और मित्यात्वका स्वरुप, जैन और अन्य मौके दृष्टांत और न्यायसे अच्छी तराहसे समझाये गये है. धर्मका और आत्मज्ञानका उपदेश भच्छा किया गया है.) आलोयणा ( अति शुन्द प्रत ) ०.३-० नित्य स्मरण ( सामायिक, स्तवनों, अणुपूर्वि, साधुवंदना, इ. त्यादि सहित ) विना मूल्य. ( पोष्ट खर्च ०)॥ भेजना) ५ धर्मतस्व सग्रह. ( दश विधि धर्म का विस्तार पूर्वक उपदेश हिंदीमें किया गया है. बहुत उत्तम पुस्तक है.) मूल्य रु. १) गुजरातीमें. १ 'आलोयणा ) २ धर्मतत्वसंग्रह १) । बार व्रत ); १०० प्रतके . ८) हित शिक्षा ( सर्व धर्मके लिये अत्यंत उपयोगी पुस्तक. गायकवाढ सरकारने मंजुर किया है. १२००० प्रत खप गइ है.) मूल्य रु. ०। १० प्रतका १॥ सती दमयंती. (सरकारने मंजुर की है ) ०-६-० पकाठा०॥ ६ सदुपदेशमाळा (१२ नीतिकी रसमयी वातीओ ) रु ८॥ .. ७ मधुमक्षिका ol ८ । आवश्यक भावार्थ प्रकाश ( प्रतिक्रमण अर्थ और टीका .सहित.) रु ८॥ m 20 पत्र व्यवहार"-"जैन हितेच्छु" ऑफिमका मेनेजर सारगपुर-अहमदाबाद ( गुजगत ) ।Page Navigation
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