Book Title: Samyag Gyan Charitra 01
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 11
________________ मिथ्याज्ञान का स्वरूप, मतिज्ञान का स्वरूप, उत्पत्ति प्रादि ४३८-४५० श्रुतज्ञान का सामान्य लक्षण, भेद । ४५०-४५३ पर्यायज्ञान, पर्यायसमास, अक्षरात्मक श्रुतज्ञान ४५३-४८१ श्रुतनिबद्ध विषय का प्रमाण, अक्षरसमास, पदज्ञान, पद के अक्षरो का प्रमाण, प्रतिपत्तिक श्रुतज्ञान ४८१-४८४ अनेक प्रकार के श्रुतज्ञान का विस्तृत स्वरूप, अगबाह्य श्रुत के भेद, अक्षरो का प्रमाण, अगो व पूर्वो के पदो की सख्या, श्रुतज्ञान का माहात्म्य, अवधिज्ञान के भेद, ४८४-५२१ उसके स्वामी और स्वरूप, ५२१-५३६ अवधि का द्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा वर्णन, अवधि का सबसे जघन्य द्रव्य ५३७-५५४ नरकादि मे अवधि का क्षेत्र ५५४-५६० मनःपर्ययज्ञान का स्वरूप, भेद, स्वामी और उसका द्रव्य ५६०-५६८ केवलज्ञान का स्वरूप, ज्ञानमार्गरणा मे जीवसख्या ५६८-५७१ तेरहवां अधिकार: संयममार्गरणा-प्ररूपरणा ५७२-५८० सयम का स्वरूप और उसके पांच भेद, सयम, की उत्पत्ति का कारण ५७२-५७४ देश संयम और असयम का कारण, सामायिकादि ५ सयम का स्वरूप ५७४-५७७ देशविरत, इन्द्रियो के अट्ठाईस विषय, सयम की अपेक्षा जीवसख्या ५७७-५८० चौदहवां अधिकार: दर्शनमार्गणा-प्ररूपरणा ५८१-५८४ दर्शन का लक्षण, चक्षुदर्शन प्रादि ४ भेदो को क्रम से स्वरूप, दर्शन की अपेक्षा जीव सख्या ५८१-५८४ पंद्रहवां अधिकार: लेश्यामार्गणा-प्ररूपणा ५८५-६४४ लेश्या का लक्षण, लेश्यानो के निर्देश प्रादि १६ अधिकार ५८५-५८६ निर्देश, वर्ण, परिणाम, सक्रम, कर्म, लक्षण, गति, स्वामी, साधन, अपेक्षा लेश्या का कथन ५८६-६१० सख्या, क्षेत्र, स्पर्श, काल, अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व अपेक्षा लेश्या का कथन ६१०-६४३ लेश्या रहित जीव ६४३-६४४ सोलहवां अधिकार : भव्यमार्गणा-प्ररूपणा ६४५-६५७ भव्य, अभव्य का स्वरूप, भव्यत्व अभव्यत्व से रहित जीव, भव्य मार्गणा मे जीवसख्या ६४५-६४६ पांच परिवर्तन ६४६-६५७ सतरहवां अधिकार : सम्यक्त्वमार्गरणा-प्ररूपरणा ६५८-७२३ सम्यक्त्व का स्वरूप, सात अधिकारो के द्वारा छह द्रव्यो के निरूपण का निर्देश ६५८-६५६ नाम, उपलक्षण, स्थिति, क्षेत्र, सख्या, स्थानस्वरूप, फलाधिकार द्वारा छह द्रव्यो का निरूपण ६५६-७०१ पचास्तिकाय, नवपदार्थ, गुणस्थान क्रम से जीवसख्या, त्रैराशिक यन्त्र ७०२-७०७ क्षपकादि की युगपत् सम्भव विशेप सख्या, सर्व सयमियो की सख्या, क्षायिक सम्यक्त्व, वेदक सम्यक्त्व, उपशम सम्यक्त्व ७०-७१६ पांच लब्धि, सम्यक्त्व ग्रहण के योग्य जीव, सम्यक्त्वमार्गणा के दूसरे भेद, सम्यक्त्वमार्गणा मे जीवमरया ७१६-७२३ अठारहवां अधिकार : संज्ञीमार्गरणा-प्ररूपणा ७२४-७२५ संज्ञी, असज्ञी का स्वरूप, सज्ञी असज्ञी की परीक्षा के चिन्ह सज्ञी मार्गणा में जीवसत्या ७२५ ७२४

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