Book Title: Samyag Gyan Charitra 01
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 14
________________ । सामान्य प्रकरण २] ___ बहुरि कोऊ कहै कि - अनुराग है तो अपनी बुद्धि अनुसार ग्रंथाभ्यास कगे, मंदवुद्धिनि को टीका करने का अधिकारी होना युक्त नाही । ताकौं कहिये है - जैसे किसी शिष्यशाला विषेवहुत वालक पढे है । तिनिविर्षे कोऊ वालक, विशेष ज्ञान रहित है, तथापि अन्य वालकनि से अधिक पढ्या है, सो आपतै थोरे पढने वाले बालकनि को अपने समान ज्ञान होने के अर्थि किछ लिखि देना आदि कार्य का अधिकारी हो है । तैसे मेरे विशेष ज्ञान नाही, तथापि काल दीप ते मोते भी मंदबुद्धि है, अर होंहिगे । तिनिकै मेरे समान इस ग्रंथ का ज्ञान होने के अथि टीका करने का अधिकारी भया हो। बहुरि कोऊ कहै कि - यह कार्य करना तो विचारचा, परन्तु जैसे छोटा मनुष्य बड़ा कार्य करना विचार, तहां उस कार्य विष चूक होई ही, तहां वह हास्य को पावै है । तैसे तुम भी मंदबुद्धि होय, इस ग्रंथ की टीका करनी विचारी ही सो चूक होइगी, तहा हास्य को पावोगे। ताकौं कहिये है - यह तो सत्य है कि मैं मंदबुद्धि होड ऐसे महान ग्रंथ की टीका करनी विचारौ हो, सो चूक तौ होइ, परन्तु सज्जन हास्य नाही करेंगे। जैसे औरनि ते अधिक पढ़या बालक कही भूलै तव बड़े ऐसा विचार है कि वालक है, भूल ही भूल, परंतु और वालकनि ते भला है, ऐसे विचारि हास्य नाही कर है।। तैसे मैं इहां कही भूलोंगा तहां सज्जन पुरुष ऐसा विचारेंगे कि मदवुद्धि था, सौ भूल ही भूल, परंतु केतेइक अतिमदवुद्धीनि तै भला है, ऐसे विचारि हास्य न करेंगे। सज्जन तो हास्य न करेगे, परन्तु दुर्जन तौ हास्य करेंगे ? ताकौं कहिये है कि - दुष्ट तौ ऐसे ही है, जिनके हृदय विपै औरनि के निर्दोप भले गण भी विपरीतरूप ही भासे । सो उनका भय करि जामै अपना हित होय ऐसे कार्य को कौन न करेगा? बहुरि कौऊ कहै कि - पूर्व ग्रंथ थे ही, तिनिका अभ्यास करने-करावने ते ही हित हो है, मंदबुद्धिनि करि ग्रंथ की टीका करने की महंतता काहेको प्रगट कीजिये? ताकौं कहिये है कि - ग्रथ अभ्यास करने ते ग्रंथ की टीका स्वना करने विर्ष उपयोग विशेष लाग है, अर्थ भी विशेष प्रतिभास है । वहुरि अन्य जीवनि को ग्रह अभ्यास करावने का संयोग होना दुर्लभ है । अर संयोग होइ तो कोई ही जीव के अभ्यास होड । अर ग्रंथ की टीका वनै तौ परंपरा अनेक जीवनि के अर्थ का ज्ञान होड । तातै अपना अर अन्य जीवनि का विशेष हित होने के अर्थि टीका करियर महंतता का तो किछू प्रयोजन नाही ।

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