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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
श्री पच्चक्खाण के सूत्र, अर्थ एवं स्पष्टता
पच्चक्खाण लेनेवाले के लिए पच्चकखाणके समयकी मर्यादा (दा.त. सूर्योदयका समय ७.०० बजे, दिवस १२ कलाक का गीनके)
१) नवकार - सहिअं पच्चक्खाण : सूर्योदय के पश्चात् ४८ मिनिट (दो घडी)
उदा. ७:४८ मिनिटे
२) पोरिसि-पच्चक्खाण : सूर्योदय के पश्चात् दिनका चौथा हिस्सा (एक प्रहर) एक प्रहर = ३ घंटे उदा. ७:०० + ३ घंटे = १०:०० बजे
३) साढ-पोरिसि-पच्चक्खाण : सूर्योदयसे लेकर दिन का छे आनी हिस्सा (डेढ़ प्रहर) डेढ़ प्रहर = ४:३० + ७.०० कलाक = ११:३० वागे
४) पुरिमड्ड - पच्चक्खाण : सूर्योदयसे दिन मध्यभाग (मध्याह्न) (बे
प्रहर)
बे प्रहर = ६ कलाक + ७.०० = १ वागे
५) अवड्ढ- पच्चक्खाण : सूर्योदयथी दिन का पोना हिस्सा (तीन प्रहर)
तीन प्रहर = ९ कलाक + ७:०० = ४ वागे
( दिन का जितना समय होता है, उस पुरे समय को चार से विभाजित करने से एक प्रहरका समय प्राप्त होता है, और जब दिन १२ घंटे का हो तब उसे ४ से विभाजित करने से 3 घंटे ३ का एक प्रहर माना जाता है ।)