Book Title: Samvatsari Pratikraman Hindi
Author(s): Ila Mehta
Publisher: Ila Mehta

View full book text
Previous | Next

Page 387
________________ ३३२ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित करनेके पश्चात् तिविहार / मुट्ठिसहिअं का पच्चख्खाण लेना हितकारी है।) आयंबिल पच्चक्खाण सूत्र अर्थ साथे उग्गओ सूरे नमुक्कारसहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं, मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाई (पच्चक्खामि) उग्गओ सूरे चउव्विहं पि आहारं असणं, पाणं, खाईमं, साईमं, अन्नत्थणा भोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्व समाहि-वत्तियागारेणं, आयंबिलं पच्चक्खाई (पच्चक्खामि) अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, गिहत्थसंसट्टेणं, उक्खित्त-विवेगेणं, पारिठ्ठावणिया-गारेणं, महत्तरागारेणं सव्व-समाहि-वत्तियागारेणं, अगासणं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि), तिविहं पि __ आहारं, असणं, खाईमं, साइम, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसागारेणं, सागारिया-गारेणं, आक्तटण-पसारेणं, गुरु-अब्भुट्टाणेणं, पारिठ्ठा-वणियागारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व समाहि वत्तियागारेणं, पाणस्स लेवेण वा,

Loading...

Page Navigation
1 ... 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402