________________ लग्न के समय महाराजाने बहुत सी सावधानी रखी. पर विधि का लेख मीट नहीं सकता. ढाल में से सिंह उत्पन्न हुआ और वरराजा को मार डाला. आनंद की जगह हा...हाकार हो गया, सब रोने लगे, महाराजा विक्रम आश्वासन देते हुए अपना बलिदान देने को तैयार हुए. देवी की प्रार्थना की, देवी प्रगट हुई और बालक को सजिवन किया तत्पश्चात् महाराजा अवती गये. प्रकरण 51 . . . . . . . . . . . . प. 379 से 357 रत्नप्राप्ति व उस का मूल्य एक दिन महाराजा विक्रमादित्य समक्ष एक वणिकने अपूर्व रत्न लाकर रखा. उस का मूल्य कराने को जौहरीओं को बुलाये. वे मूल्य कर न सके, किन्तु उन्होंने कहा, 'इसका मूल्य बलिराय करेंगे' महाराजा वणिक से रत्न लेकर पाताल में गये. अपनी बुद्धि से बलिराय की मुलाकात की, रत्न का मूल्य पूछा, रत्न देख कर बलिरायने युधिष्ठिर की कथा कही और मूल्य बताया, महाराजाने अवती में आकर वणिक को बुलाकर रत्न का मूल्य दिया. प्रकरण 52 . . . . . . . . . . . पृ. 388 से 405 एकदंडिया राजमहेल _एक दिन रात्रिचर्या में सौभाग्यसुदरी नामक कन्या का वचन सुन कर महाराजाने उनकी साथ शादी की. और उस को स्त्रीचरित्रा बताने को कहा, उसको एकदडिया महल में रखी. समय बीतने पर गगनधूली से सौभाग्यसुदरी की आंख मिली. उसने एक पत्र डाला, गगनधली पत्र पढकर उस को मिलने आया, और हमेश वो आता जाता रहने लगा. एक दिन महाराजा ये बात जान गये, उस पर विचार करते महाराजाने खडहरमें योगी की मायाजाल भी देखी. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust