Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ (6) जाणनारो थाय, तथा परमेश्वरनुं जजन करे. __जो टचली आंगली करतां पण अनामिका नानी होय, तो ते माणस लंपट अने लोजी होय, अने पृथ्वी पर तेनुं मान बिलकुल होतुं नथी. ___ जो पहेली अने टचली आंगलीथी पण अंगुगे चढीपातो होय, तो ते अत्यंत जय पामे . - जो तर्जनी श्रांगली बहु लांबी होय, तो तेमोटो राजा थाय तथा तेने घणी स्त्री थाय, तथा तेना शरीरमा अत्यंत क्रोध होय, तथा तेने देहमा रो. गोनी उत्पत्ति थाय. जेनी मध्य (वचली)आंगली अंगुगथी पण मोटी होय, तेने जीवित पर्यंत पण स्त्रीमले नहीं, एम सामुजिक शास्त्र कहे . जे पुरुषना पगना अंगुग गोल होय, तेना हु. कमनो को पण अनादर करी शके नहि. जेना पगना अंगुग पर फाटा त्रुटा तथा वांका नख होय, ते माणस घणांज पुष्ट कार्यों करे. जेना पगनी पेनी पातली तथा प्रगट रीते मली जाती होय, तथा सघली आंगली सीधी होय, ते माणस बहुज दानेश्वरी होय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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