Book Title: Samraicchakaha Part-1 Author(s): Haribhadrasuri, Publisher: Mangal Parekhno Khancho Jain Sangh - Shahpur - Ahmedabad View full book textPage 2
________________ RE, 4x4, See E6 % % % % % %b5-%E5%E5 ---------- __ नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्त याकिनीमहत्तरासूनु- परमगुणानुरागि-परमसत्यप्रिय-भगवच्छ्रीहरिभद्रसूरिविरचिता समराइचकहा । PresGREEKRECORRECTRESH सौराष्ट्रान्तर्गतवळाग्रामवास्तव्यपण्डितभगवानदासकृतसंस्कृतछायानुवादसहिता । [षड्भवात्मकः प्रथमो भागः ] प्रेरक : प. पू. आचार्यदेवश्री रूचकचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. प्रकाशक : मंगल पारेखनो खांचो श्री जैन श्वे. मू० संघ, शाहपुर-अमदाबाद. वि. सं. २०३८ प्रतय: ७५० इ. स. १९८२ धीर सं. २१०८ मूल्यं चत्वारिंशत् रूप्यकाः। FASCIENCIECCCCCCCCCCCCCCCCACANCE ACCOUNCA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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