Book Title: Samaysara Kalash
Author(s): Amrutchandracharya, 
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 248
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates %% %%%%%%%%%%%%%%%%%%%% । -११स्याद्वाद अधिकार 听听 乐 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 [अनुष्टुप] अत्र स्याद्वादशुद्ध्यर्थं वस्तुतत्त्वव्यवस्थितिः। उपायोपेयभावश्च मनाग्भूयोऽपि चिन्त्यते।।१-२४७।। [कुण्डलियाँ] यद्यपि सब कुछ आगया कुछ भी रहा न शेष। फिर भी इस परिशिष्ट में सहज प्रमेय विशेष।। सहज प्रमेय विशेष उपायोपेय भावमय । ज्ञानमात्र आतम समझाते स्याद्वाद से । परम व्यवस्था वस्तुतत्व की प्रस्तुत करके । परमज्ञानमय परमातम का चिन्तन करते।।२४७।। खंडान्वय सहित अर्थ:- "भूयः अपि मनाक् चिन्त्यते'' [ भूयः अपि] 'ज्ञानमात्र जीवद्रव्य' ऐसा कहता हुआ समयसार नामका शास्त्र समाप्त हुआ। तदुपरान्त [ मनाक् चिन्त्यते] कुछ थोड़ासा अर्थ दूसरा कहते हैं। भावार्थ इस प्रकार है कि जो गाथासूत्रका कर्ता है कुंदकुंदाचार्यदेव, उनके द्वारा कथित गाथासूत्रका अर्थ संपूर्ण हुआ। सांप्रत टीकाकर्ता है अमृतचंद्र सूरि, उन्होंने टीका भी कही। तदुपरान्त अमृतचंद्र सूरि कुछ कहते हैं। क्या कहते हैं- "वस्तुतत्त्वव्यवस्थिति:'' [ वस्तु] जीवद्रव्यका [ तत्त्व] ज्ञानमात्र स्वरूप [ व्यवस्थिति:] जिस प्रकार है उस प्रकार कहते हैं। "च" और क्या कहते हैं- "उपायोपेयभावः'' [ उपाय] मोक्षका कारण जिस प्रकार है उस प्रकार [ उपेयभावः] सकल कर्मोंका विनाश होनेपर जो वस्तु निष्पन्न होती है उस प्रकार कहते हैं। कहने का प्रयोजन क्या ऐसा कहते हैं - "अत्र स्याद्वादशुद्ध्यर्थं " [अत्र] ज्ञानमात्र जीवद्रव्य में [स्याद्वादशुद्ध्यर्थ] स्याद्वाद-एक सत्तामें अस्ति-नास्ति ओक-अनेक नित्य-अनित्य इत्यादि अनेकान्तपना [शुद्धि] ज्ञानमात्र जीवद्रव्यमें जिस प्रकार घटित हो उस प्रकार [अर्थं ] कहनेका है अभिप्राय जहाँ ऐसे प्रयोजनस्वरूप कहते हैं। भावार्थ इस प्रकार है कि कोई आशंका करता है कि जैनमत स्याद्वादमूलक है। यहाँ तो ज्ञानमात्र जीवद्रव्य ऐसा कहा सो ऐसा कहते हुए एकान्तपना हुआ, स्याद्वाद तो प्रगट हुआ है नहीं ? उत्तर इस प्रकार है कि ज्ञानमात्र जीवद्रव्य ऐसा कहते हुए अनेकान्तपना घटित होता है। जिस प्रकार घटित होता है उस प्रकार यहाँ से लेकर कहते हैं, सावधान होकर सुनो।।१-२४७।। Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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