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अध्याय -8
अट्टमो बंधाधियारो BONDAGE OF KARMAS
रागादि से कर्म-बन्ध होता है -
जह णाम को वि पुरिसो णेहब्भत्तो दु रेणबहुलम्मि। ठाणम्मि ठाइदूण य करेदि सत्थेहि वायाम॥ (8-1-237)
छिंददि भिंददि य तहा तालीतलकयलिवंसपिंडीओ। सच्चित्ताचित्ताणं करेदि दव्वाणमुवघादं॥ (8-2-238)
उवघादं कुव्वंतस्स तस्स णाणाविहेहिं करणेहिं। णिच्छयदो चिंतेंन्न हु किं पच्चयगो दु रयबंधो॥ (8-3-239)
जो सो दु णेहभावो तम्हि णरे तेण तस्स रयबंधो। णिच्छयदो विण्णेयं ण कायचेट्ठाहि सेसाहिं॥
(8-4-240)
एवं मिच्छादिट्ठी वट्टतो बहुविहासु चिट्ठासु। रायादी उवओगे कुव्वंतो लिप्पदि रयेण॥
(8-5-241)
जिस प्रकार कोई पुरुष शरीर में तेल लगाकर और बहुत धूल वाले स्थान में रहकर शस्त्रों से व्यायाम करता है, और ताड़, तमाल, कदली और बाँस के समूह को छेदता और भेदता है तथा सचित्त ओर अचित्त द्रव्यों का उपघात करता है; नाना प्रकार के
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