Book Title: Samaysara Author(s): Ganeshprasad Varni Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan View full book textPage 6
________________ प्रकाशकीय वक्तव्य आचार्य कुन्दकुन्द के द्वारा विरचित समयसार को जैन आगम में अति विशिष्ट स्थान प्राप्त है । पूज्य श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी के प्रवचनों को टीका रूप में प्रस्तुत करने वाला यह ग्रन्थ अत्यन्त लोकप्रिय रहा है। इसका तीसरा संस्करण प्रकाशित करते हुये हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है । इस ग्रन्थ में संकलित पहले तथा दूसरे संस्करणों के प्रकाशकीय, प्राक्कथन तथा प्रस्तावना आदि अतिविशिष्ट विद्वानों द्वारा लिखे गये हैं, जिनमें पं. जगन्मोहनलाल जी शास्त्री, पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य, पं. दरबारीलाल जी कोठिया शामिल हैं । इनके शब्दों के आगे मेरा कुछ भी लिखना धृष्टता ही होगी । इतना अवश्य कहूँगा कि श्री गणेश वर्णी संस्थान (प्रारंभ में श्री गणेश प्रसाद वर्णी ग्रन्थमाला) की स्थापना, संचालन सदा से जैन समाज के शीर्षस्थ विद्वान करते आये हैं तथा कर रहे हैं । इनके द्वारा जो साहित्य की निधि इस संस्था को सौंपी गयी है हम तो मात्र उसकी रक्षा ही कर रहे हैं । इस संस्करण के प्रकाशन में संस्थान के उपाध्यक्ष डा0 फूलचन्द्र जी प्रेमी तथा उनकी धर्मपत्नी डा0 पुष्पा जैन का अमूल्य योगदान है। ग्रन्थ का शुद्धिकरण उन्होंने पूरे मनोयोग से किया है, इसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं। हमारी अपील पर अनेक दान दाताओं ने स्वेच्छा से ग्रन्थ के प्रकाशन हेतु दान प्रेषित किया है। उनमें प्रमुख हैं :- श्री दिगम्बर जैन समाज, इम्फाल (द्वारा श्री तनसुखराय सेठी, अध्यक्ष) रू. 17000, श्री अनिल कुमार अग्रवाल, नई दिल्ली, रू. 1000, श्री महेन्द्र कुमार रमणलाल शाह, अहमदाबाद, रू. 1101 तथा रू. 101 | हम इन सभी दानदाताओं का अतिशय आभार प्रकट करते हुये आशा करते है कि आगे भी वे संस्थान को अपना सहयोग प्रदान करते रहेंगे । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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