Book Title: Saman suttam
Author(s): Kailashchandra Shastri, Nathmalmuni
Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan
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परिशिष्ट । १
गाथानुक्रमणिका
गाथांक
वायांक
७१७
४७४
AU0
___ अ अत्थंगयम्मि आइच्चे ६८१ अत्थाओ अत्यंतर ३७२ अत्थि त्ति पत्थि उह्य
७८ अथित्ति णस्थि दो वि ६४३ अत्थिसहाव दव ६८७ अद्धाणतेणसावद १७५ अर्धवमसरण मेगत्त
अधुवे असासयम्मि ५९८ अन्न इमं सरीर जीव ति १५४ अन्नाईण सुद्धाण
अन्नोन्न पविसंता
अन्नोन्नाणुगयाण ३२२
अपदेसो परमाण १३४
अप्पडिकुठं उवधि
अप्पणछा परट्ठा वा ३४९
अप्पपससणकरणं अप्पसत्थेहिं दारेहि अप्पा अप्पम्मि रओ अप्पा कत्ता विकत्ता य
अप्पा चेव दमेयन्यो १९४ अप्पा जाणइ अप्पा १५७ अप्पाणमयाणतो ७४७ अप्पाणमेव जुज्झाहि
अइथूलथूल थल अइभर्मि न गच्छेज्जा अइसयमादसमुत्थ अतादिमज्झहीण अक्खस्स पोग्गलकया अक्खाणि बहिरप्पा अगणिअ जो मुक्खसुह अज्जीवो पुण णेओ अज्झवसिएण बधो अट्ठविह""सीदोभूदा अट्ठविह " णिट्ठियकज्जा अठेणं त न बंधइ अणथोव वणथोव अणसणमूणोयरिया अणाभोगकिदं कम्म अणिस्सिओ इह लोए अणुखंधवियप्पेण दु अणुगुरुदेहपमाणो अणुसोअइ अन्नजण अण्णाणघोरविमिरे अण्णाणादो गाणी अत्ता चेव अहिंसा अत्ताण जो जाणइ
६७२
३७७
३६९
६४०
५१८
१२३
१२७
१२१
२५१ १२६
-- २४५ -
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