Book Title: Saman suttam
Author(s): Kailashchandra Shastri, Nathmalmuni
Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan

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Page 272
________________ गाथानुक्रमणिका २४९ गाथांक ३३५ ५०४ २४७ १७६ ६४.५ ५८३ २८४ २२७ ४२३ ६०४ ० गाथांक जह चिरसचियमिधणम ५७८ जह जह सुयमोगाहइ ३१८ जह णवि सक्कमणज्जो ७१३ जह ते न पिकं दुक्खं जह दीवा दीवसय २६९ जह पउमरायरयण ६९० जह बालो जंपन्तो ४८५ जह रायकुलपसूओ ७३२ जह व णिरुद्धं असुहं २२१ जह सलिलेण ण लिप्पइ ७०५ जह सोलरक्खयाणं ४३९ जह हवदि धम्मदव्य २४० जहा कुम्मे सभंगाई जहा जहा अप्पतरो जहा दुमस्स पुप्फेसु ५०७ जहा पोम्म जले जाय जहा महातलायस्स जहा य अंडप्पभवा ६९१ जहा य तिण्णि व वणिया ३९५ जहा लाहो तहा लोहो ७५५ जागरह नरा ! निच्च ७५६ जागरिया धम्मीणं ३९४ जा जा वच्चई रयणी २२ जाणइ कज्जाकज्ज २९५ जाणिज्जइ चिन्तिज्जइ ५२५ जायदि जीवस्सेवं जावंतऽविज्जापुरिसा ४८७ जावति लोए पाणा २०९ जावतो वयणपधा ४६३ जिणवयणमोसहमिण ४९ जिणवयणे अणुरत्ता ३८७ जीववहो अप्पवहो ज कीरइ परिरक्खा ज कुणइ भावसल्ल ज च दिसावेरमण ज ज करेइ कम्म ज जं समय जीवो ज जाणिऊण जोई ज गाणीण वियप्प ज थिरमज्झवसाण ज पुण समत्तपज्जाय ज मोण तं सम्म ज संगहेण गहियं जत्थ कसायणिरोहो जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्त जदि सक्कदि कादु जे जमगधम्मणो वत्थुमो जम्म मरणेण समं जम्मं दुक्ख जरा दुक्ख अमल्लोणा जीवा जम्हा ण णएण विणा जय चरे जयं चिट्ठे जयइ जगजीवजोणी जयइ सुयाण पभवो जयणा उ धम्मजणणी जय वीयराय ! जय गुरु । जरा जाव न पीलेइ जरामरणवेगेण जस्स गुरुम्मि न भत्ती जस्स न "जोगपरिकम्मो नस्स न""सव्वदम्वेसु जह कंटएण विद्धो जह कच्छुल्लो कच्छु जहगृत्तस्सिरियाई ० १० १७ ११० ९७ १६८ ११८ ५४२ ५४ ५८८ १४० ७२६ W १५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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