Book Title: Saman suttam
Author(s): Kailashchandra Shastri, Nathmalmuni
Publisher: Sarva Seva Sangh Prakashan
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गाथानुक्रमणिका
२५७
गाथांक
गाथाक
१३८
३१ से जाणमजाण वा ३२६ सेज्जोगासणि सेज्जो ३३३ सेणावइम्मि णिहए १६१ से भूइपण्णे अणि" ४८४ सेलेसि सपत्तो ३३७ सेवतो वि ण सेवइ ५२८ से मव्वदसी अभिभूय णाणी
४७ सोच्चा जाणइ कल्लाण १६३ सो तम्मि चेव समये २५६ सो तवो दुविहो बनो २७७ मो नत्थि इहोगासो
४१ सो नाम अणसण तवो २६६ मोवणिय पिणियर, २६४
२४.५
४४०
मावगजणमहुयर सावज्जजोगपरिरक्खणट्ठा साहूण कप्पणिज्ज मोतति सुवताण सोस जहा सरीरस्स सोहगयवसहमियपसु सुई च लधु सद्ध च सुट्ठवि मग्गिज्जतो मुत्तेसु यावी पडिबुद्ध जीवी सुद्धं तु वियाणतो मुद्धस्स य सामण्ण मुद्धो सुद्धादेशो सुबहु पि सुयमहीय मुयनाणम्मि वि जीवो सुवण्णरुप्पस्स उ पन्वया सुविदिदपयत्थसुत्तो सुविदियजगस्सभावो सुविहिं च पुप्फयतं सुह वसामो जीवामो सुहदुक्खजाणणा वा सुहपरिणामो पुण्ण सुहेण भाविद णाण मुई जहा ससुत्ता में असई उच्चागोए
४४४
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१०७
२७६ हत्थीसु एरावणमाह ४९३ हय नाण कियाहीण १४ हा ! जह मोहियमइणा
हिंसादो अविरमण ५९३ हियाहारा मियाहारा
होति अणियट्टिणो ते ४५३ होति कम्मविसुद्धाओ २४८ होति परोक्खाई मइ ९० होऊण य णिस्सगो
७५८
६८८
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