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उनसे प्रतिफलित होने वाले आत्मवादों की विचारणा सम्भव नहीं है, अतः हम यहाँ कुछ आत्मवादों का वर्गीकृत रूप में मात्र संक्षिप्त अध्ययन ही करेंगे। इनका विस्तृत और पूर्ण अध्ययन तो स्वतन्त्र गवेषणा का विषय है।
वर्गीकरण की दृष्टि से हमारे अध्ययन में निम्न वर्गीकरण सहायक हो सकता है-
1. नित्यं या शाश्वत आत्मवाद,
2. अनित्य आत्मवाद, उच्छेद आत्मवाद, देहात्मवाद,
3. कूटस्थ आत्मवाद, अक्रिय आत्मवाद, नियतिवाद,
4. परिणामी आत्मवाद, आत्म कर्तृत्ववाद, पुरुषार्थवाद,
5. सूक्ष्म आत्मवाद,
6. विभु आत्मवाद,
7. अनात्मवाद,
8. सर्व आत्मवाद या ब्रह्मवाद ।
महावीर के समकालीन विभिन्न आत्मवाद : 61
प्रस्तुत निबन्ध में उपर्युक्त सभी आत्मवादों का विवेचन सम्भव नहीं है, दूसरे अनात्मवाद और सर्व आत्मवाद के सिद्धान्त क्रमशः बौद्ध और वेदान्त परम्परा में विकसित हुए हैं, जो काफी विस्तृत हैं साथ ही लोक प्रसिद्ध हैं । अतः उनका विवेचन प्रस्तुत निबन्ध में नहीं किया गया है। परिणामी आत्मवाद का सिद्धान्त स्वतन्त्र रूप से किसका था, यह ज्ञात नहीं हो सका। अतः उसका भी विवेचन इस निबन्ध में नहीं किया गया है। प्रस्तुत प्रयास में इन विभिन्न आत्मवादों के वर्गीकरण में मुख्यतः एक स्थूल दृष्टि रखी गई है और इसी हेतु कूटस्थ आत्मवाद, नियतिवाद या परिणामी आत्मवाद और पुरुषार्थवाद महावीर के आत्मवाद का मुख्य अंग है फिर भी महावीर का आत्म-दर्शन समन्वयात्मक है अतः उनके आत्म-दर्शन को एकान्त रूप से उस वर्ग में नहीं रखा जा सकता है ।
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अनित्य- आत्मवाद
महावीर के समकालीन विचारकों में इस अनित्यात्मवाद का प्रतिनिधित्व अजितकेश कम्बल करते हैं। इस धारणा के अनुसार आत्मा या चैतन्य इस शरीर के साथ उत्पन्न होता है और इसके नष्ट हो जाने के साथ ही नष्ट हो जाता है। उनके दर्शन एवं नैतिक सिद्धान्तों को बौद्ध आगम में इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है।
दान, यज्ञ, हवन व्यर्थ हैं, सुकृत- दुष्कृत कर्मों का फल- विपाक नहीं । यह लोक-परलोक नहीं। माता-पिता नहीं, देवता नहीं... आदमी चार महाभूतों का बना है जब मरता है तब ( शरीर की ) पृथ्वी - पृथ्वी में, पानी पानी में, आग आग में और वायु वायु में मिल जाती है... दान यह मूर्खो का उपदेश है... मूर्ख हो चाहे पण्डित शरीर छोड़ने पर उच्छिन्न हो जाते हैं.
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बाह्य रूप से देखने पर अजित की यह धारणा स्वार्थ सुखवाद की नैतिक धारणा के समान प्रतीत होती है और उसका दर्शन तथा आत्मवाद भौतिकवादी परिलक्षित होता है। लेकिन
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