Book Title: Sagar Dharm
Author(s): Ashadhar Pandit
Publisher: Jain Sahitya Prasarak Karyalay

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Page 3
________________ आभार-प्रदर्शन । .-MAKes श्री माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रंथमाला द्वारा प्रकाशित संस्करण परसे हमने इसे प्रकाशित किया है । अतः हम ग्रंथमालाके आभारी हैं । औ श्रीमान पंडित बंशीधरजी जैन शास्त्री, मालिक श्रीधर प्रेस, सोलापुर ने इसका प्रूफ संशोधन करनेका कष्ट उठाया है। इसलिये आपको धन्यवाद है। -प्रकाशक। पाठ्य ग्रथ। जैन सिद्धांत । त्रिलोक्सार स.१॥),भाषाटीका ५॥ गोमट्टसार-जीवकांड-सार्थ २॥ सागारधर्मामृत-सटीक १॥ गोमट्टसार-कर्मकांड-सार्थ २॥ न्याय । जैन सिद्धांत प्रवेशिका अष्टसहस्री तत्वार्थराजवार्तिकालंकार-सटीक ४ आप्तपरीक्षा-मूल - सार्थ । तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार-सटीक ४Jआप्तमीमांसा-मूल भाषा ॥ तत्वार्थसूत्र (मोसशास्त्र )-सार्थ ॥ आप्तमीमांसा-प्रमाण परीक्षा सटीक१) द्रव्यसंग्रह - सान्वयार्थ ।)विस्तृतअर्थ तर्क संग्रह वृहद्र्व्यसंग्रह-सटीक, सभाप्य २] व्यानुयोग तर्कणा २J पंचाध्यायी-मूल ।) विस्तृत भाष्य ५॥ परीक्षामुख सार्थ ), ॥ पुरुषार्थसिद्ध्युपाय सान्वयार्थ १० प्रमेयरत्नमाला-संस्कृत ॥),भाषा १) पुरुषार्थसिद्ध्युपाय-विस्तृतभाष्य ५||) प्रमेयकमल मार्तड रत्नकरंडश्रावकाचार-सटीक २) सप्तभंगीतरंगिणी-सार्थ रत्नकरंड श्रावकाचार-सान्वयार्थ । व्याकरण । सर्वार्थसिद्धि-मूल २J कातंत्र पंचसंधि-सार्थ सर्वार्थसिद्धि-सार्थ-प्र. खंड ६) कातंत्र रूपमाला संपूर्ण १॥ द्वि. खंड ८J, , पूर्वार्ध ॥), उत्तरार्धसमयप्राभृत दो स. टीका सह ३॥ जैनेन्द्र प्रक्रिया- पं. वंशीधरजी २) CCCELCEL

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