Book Title: Ratnakarandak Shravakachar
Author(s): Samantbhadracharya, Mannulal Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer

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Page 498
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates सप्तम- सम्यग्दर्शन अधिकारी [४५५ भगवान गजकुमार स्वामी के समस्त अंगों में दुष्ट बैरी ने कीले ठोक दिये थे. तो भी उत्तमार्थ साधा, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? सनतकुमार नाम के महामुनि के शरीर में कुष्ट, खाज, ज्वर, कास, शोथ, तीव्रक्षुधा, वमन, नेत्रशूल , उदरशूल आदि अनेक रोग उत्पन्न हुए उनकी घोर वेदना को सौ वर्ष तक साम्यभाव से भोगी, धीरज नहीं छोड़ा तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? । श्रेणिकपुत्र गंगा नदी में नाव में डूब गये; परन्तु आराधना से नहीं चिगे, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? भद्रबाहु नाम के मुनि को तीव्र क्षुधा वेदना का रोग उत्पन्न हुआ, तो भी अवमौदर्य (ऊनोदर) नामक तप की प्रतिज्ञा की आराधना से नहीं चिगे, तुम्हारे लिये कितनी-सी वेदना है ? ललितघट आदि नाम के प्रसिद्ध बत्तीस मुनि कौसांबी नदी के प्रवाह में बहते गये, तो भी आराधन मरण ही किया चिगे नहीं, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? धर्मघोष नाम के मुनि ने चम्पा नगरी के बाहर गंगा नदी के किनारे पर एक महिना के उपवास की प्रतिज्ञा करके तीव्र तृषा की वेदना से प्राण त्याग दिये, परन्तु आराधना से नहीं चिगे, तुमहारे लिये कितनी सी वेदना है ? श्रीदत्त नाम के मुनि को पूर्व जन्म के बैरी देव ने अपनी विक्रिया से घोर शीत की वेदना पहुँचाई, तो भी उनने क्लेश रहित होकर उत्तमार्थ को सिद्ध किया, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है? वृषभसेन नाम के मनि उष्ण शिलातल पर उष्ण पवन तथा उष्ण सर्य की घोर आताप वेदना सहते हुए भी आराधना को धारण किये रहे, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? अग्नि नामके राजपुत्र रोहोड नगर में मुनि दशा में क्रोंच नाम के वैरी द्वारा शक्ति नामक आयुध से हत्या किये जाने पर भी आराधना धारण किये रहे, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? अभयघोष नाम के मुनि को समस्त अंगों को काकंदी नगरी में चण्डवेग नाम के बैरी ने छेद डाला, तो भी घोर वेदना सहते हुये उत्तमार्थ साधा, तुम्हारे लिये कितन सी वेदना है ? विधुच्चर नामा के मुनि ने अनेक डांस मच्छरों द्वारा खाये जाने पर भी संक्लेश रहित मरण करके उत्तमार्थ साधा, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है? चिलातीपुत्र नाम के मुनि को पूर्व भव के वैरी ने शस्त्रों से घाता, फिर घावों में बड़े-बड़े कीड़े पड़ गये, जिन्होंने पूरे शरीर में चलनी की तरह छेद कर दिये, तो भी समता भावों से प्रचुर वेदना सहते हुए उत्तमार्थ साधा, तुम्हारे लिये कितनी सी वेदना है ? दण्डक नाम के मुनि को पूर्वभव के वैरी यमुनावक्र ने बाणों से वेध दिया, उसकी घोर वेदना होने पर भी समता भावों से आराधना को प्राप्त किया, तुम्हारे लिये कितनी-सी वेदना है ? Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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