Book Title: Rai Paseniya Suttam Part 01
Author(s): Hiralal B Gandhi
Publisher: Hiralal B Gandhi

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Page 12
________________ रायपसेणियसुत्त जलथलयभासुरप्पभूयस्स बिटट्ठाइस्स दसद्धवष्णकुसुमस्स जाणुस्सेहपमाणमेत्तिं ओहिवासं वासंति । २ कालागुरुपवरकुंदुरुकतुरुकधूवमघमघतगंधुध्याभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधर्वाट्टभूयं दिव्यं सुरवराभिगमणजोग्ग कति कारयंति। करेत्ता य कारयेत्ता य खिप्पामेव उवसामंति । २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति । २ समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ अंबसालवणाओ चेइयाओ. पडिनिक्खमंति । २ ताए उक्किट्ठाए जाव वीईवयमाणे २ जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे, जेणेव सभा सुहम्मा, जेणेव सूरियाभे देवे, तेणेव उवागच्छंति । २ सूरियाभं देवं करयलपरिम्गहियं सिरसावत्त मत्थए अंजलिं कट्ट जएणं विजएणं वद्धाति । २ तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति । ११ तए णं से सूरियाभे देवे तेसिं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्ट जाव हियए पायत्ताणियाहिवई देवं सद्दावेइ । २ एवं वयासी -"खिप्पामेव भो देवाणुपिया ! सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए मेघोघरसियगंभीरमहुरस जोयणपरिमंडलं सुस्सरघंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया २ सद्देणं उग्रोसेमाणे २ एवं वयासी । ___ “आणवेइ गं भी सूरियाभे देवे, गच्छइ गं भो सूरियाभे देवे, जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाए नयरीए अंबसालवणे चेइए समर्ण भगवं महावीर अभिवंदर तुम्भे 5 वि गं भो देवाणुप्पिया! सबिट्टीए जाव नाइयरवेणं नियगपरिवालसद्धिं संपरिखुडा साई साई जाणविमाणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स अतियं पाउम्भवह"।

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