Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ॥ श्रीगौतमगुरुभ्यो नमः ॥ ॥ अथ तुवंती स्त्रीनी सज्जाय प्रारंभः ॥ तुवंती नारी परिहरे रे, बीजे वस्त्रे न अमके ॥ सांके रात्रे नारी मत फरो रे, मत बेसजो तडके ॥ १ ॥ अर्थात् जेने रजोदर्शन थयुं होय अथवा जे बाइने दूर बेसवानुं प्राप्त थयुं होय तेमणे नीचेनी बाबतोनो त्याग करवो. पोते जे वस्त्र पहेर्यु होय ते सिवायनां बीजां वस्त्रने क नहीं तेमज सायंकाले ने रात्रीए एवी नारीए बहार फरवा नकल नहीं, दिवसना जागमां तरुके पण न बेसवुं . मत जालवी नार मालनी रे, बांगवां धर्मठाम ॥ प्रभु दर्शन पूजा सद्गुरु रे, वांदवा तजो नाम ॥ २ ॥ माने जोवी नहीं ने धर्मस्थानकोमां जनुं वकुं नहीं, कारण के तेथी आशातना थाय. प्रजुनां दर्शन करवां, प्रजुनी पूजा करवा देरासरे जतुं ने सद्गुरुने वांदवा उपाश्रयमां जवं ए सर्व बाबतोनो तुवंती बाइने माटे निषेध करवामां आव्यो बे. पक्किम पोसद सामायिक रे, देववंदन माला ॥ जलसंघ ने रथजातरा रे, दर्शन दोष गला ॥ ३ ॥ पक्किम, पोसह, सामायिक तथा देववंदन पण ते दिव Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38