Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ सोमां आवी बाडने माटे निषिद्ध ने तेमज जलयात्राना वरघोमामां के रथयात्राना वरघोमामां नाग लेवो ए पण शतुवंती बाडने माटे नकामां पापनां नातां बांधवा जेवू . रास वखाण धर्मकथा रे, व्रत पच्चरकाण मेलो ॥ स्तवन सज्काय रास गहुंअली रे,धर्मशास्त्र म खेलो॥॥ ज्यां रास वंचातो होय,व्याख्यान चालतुं होय तथा धर्मकथा थती होय त्यां पण न जवं. व्रत पच्चरकाण पण ते दिवसे न करवां, अने स्तवन, सज्जाय, रास तथा गहुँली अने धर्मशास्त्र पण वांचवां नहीं. लखणुं लखे नहीं हाथशुं रे, न करे धर्मचर्चा ॥ धूप दीवो गोत्रकारणां रे, नहीं पूजा ने चर्चा ॥५॥ झतुवंती बाई हाथथी कांइ लेखनकार्य करी शके नहीं, तेमज धर्मचर्चा करवानी पण मनाइ करवामां आवी . धूप, दीवो तथा गोत्रने कारवां विगेरे धर्मकर्मों पण परिहरवां जोइए. पूजा अने अर्चामां पण नाग न लेवो. संघ जिमण प्रजावना रे, हाथे देजो म बेजो॥ बलिदान पूजा प्रतिष्ठानुं रे, मत रांधीने देजो ॥६॥ ___ ज्यां संघ जमतो होय, प्रत्नावना थती होय त्यां जq नहीं, अने हाथथी कांई आपq के लेवू नहीं. पूजा प्रतिष्ठा माटे रसोइ रंधाती होय अथवा निर्दोष बलिदाननी रसोई माटे तैयारी थती होय त्यां न जq अने पोताना हाथश्री कां रांधी न आपq. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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