Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ ( ११ ) तुवंती बाइए पोताना हाथे बाण के वासी पण न कर. बारा वलोववानुं के माखण करवानुं पण तजवुं तेमज प्रथाएं करवानुं होय ते पण न करवुं. जल जरवाने जावे नहीं रे, बांडे गार ने माटी ॥ वाम जटकंता दोष उपजे रे, वढवाम मेलो घाटी ॥१४॥ पाणी भरवा जवुं नहीं. लींपण गुंपणनुं काम पण एवी बाइथी थइ शके नहीं. एवां वासो मांजवाथी पुष्पवंती बाइ दोषमां नराय बे. आवा दिवसोमां कोइनी साथे गाढ क्लेश कंकास पण न करवो. नरत चित्रामण मत जरो रे, रंगराग मत करजो ॥ जोणुं रोणुं वगोणुं सदा रे, तमे जोवाने वरजो ॥ १५ ॥ जरत के चित्रामनुं काम पण तुवंती नारीर्जए परिहरपुं. ज्यां उत्सव - आमोद थतो होय, किंवा ज्यां रंग- राग चालतो होय त्यां न जवुं. तेमज जोणुं, रोणुं अने वगोणुं ए हमेशां तुवंती बाइए तजवां जोइए. पापम वमी ने सीधावमी रे, जली खांड विखेरो ॥ शेव सुंवाली ने फाफमा रे, वणतां दोष घणेरो ॥ १६ ॥ विवाहप्रसंगे अथवा एवाज बीजा उत्सवसमये बाइ पोतपोतानां सगावालां मां पापक, वमी, सीधावमी तथा शेव, सुंवाली ने फाफमा वणवा जाय वे तेम शतुवंती स्त्रीए जÎ नहीं; कारण के एवी अवस्थामां शेव विगेरे वणवामां घणो दोष शास्त्रमां कह्यो बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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