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(१०) शाक नीलु मत मोलजो रे, फल फूल चुलचाक ॥ राश्तानी राइ वाटे नहीं रे, मूलीऔषध पाक ॥१०॥
शतुवंती बाइए लीलुंशाक समारवा बेसवुनहीं. फल, फूलने स्वच करवा पण न बेसवु. राश्ता माटे राइ वाटवी तथा औषध के पाक तैयार करवा माटे उसमीयां खांमवां ए पण निषिद्ध . खांम साकर गोल उध दहीं रे, घृत तैल सुखमी॥ खट रसने मत फरसजो रे, वली धसाणुं नमीजं॥११॥
खांम, साकर, गोल, बुध, दहीं अने घी, तेल तथा सुखमीनो स्पर्श न करवो. ती, खारुं, गट्यु, कमबुं विगेरे षट् रसोने पण अमवू नहीं. ते सिवाय तेनां जे पक्वान्न अतां होय तेनो स्पर्श न करवो जोश्ए. पमिलाने नहीं साधु साधवी रे, वस्त्र पात्र अनुपान ॥ रांक ब्राह्मणने हाथे थापे नहीं रे,दाणा लोट ने दान१५ __ साधु के साध्वी वहोरवा आवे तो ऋतुवंती बाइए तेमने पोताना हाथथी वहोरावq नहीं. साधु, साध्वीने वस्त्र, पात्र के अनुपाननी सामग्री पण स्वहस्ते वहोरावी न शके एटलुंज नहीं, पण गरीब ब्राह्मण श्रांगणे मागवा आवे तो तेने पण दाणा, लोट के एबुं बीजं कां दान आपी शके नहीं. गायनेंस ढोर दोवां ने बांधवां रे, गण वासीई हाथे॥ बाश वलोणुं माखण तजो रे,अथाणुनविते थाथे १३॥
गाय अथवा जेंस विगेरे ढोरोने दोवां तेमज बांधवां नहीं.
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