Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ (१७) दो काम रात्रे जोग तजो रे, वीर्ये उपजे बेटी॥ दिवसनो जोग निर्बलो रे, नली रातमीनेटी ॥३५॥ रात्रीना बे प्रहर वीत्या पी लोग करवो नहीं. दिवसे लोग करवानो तद्दन निषेध . रात्रीनो अवसरज योग्य गणाय जे. बे प्रहर पनी लोग करवाथी पुत्री उत्पन्न थाय एम कहेवानो आशय होय तेम जणाय .. बारथी मांमी पञ्चावन्ने रे, वर्षे जणे नारी॥ नर चोवीश नारी सोलनी रे, सुत होय सुखकारी ॥३६॥ __ बार वर्षनी अंदरनी तथा पंचावन वर्ष उपरनी नारी साथे लोग करवो अनुचित , कारण के तेनाथी पुत्रोत्पत्ति अती नथी. नर चोवीश वर्षनो अने नारी सोल वर्षनी होय तो तेनाश्री जे पुत्र उत्पन्न बाय ते बहु सुखकारी थाय. पुरुष वीर्य बहु बेटमो रे, बेटी रक्ते वखाएं ॥ . सम नागे नपुंसक नीपजे रे, प्रनु वचने हुं जाएं ॥३॥ पुरुषy वीर्य वधारे होय तो पुत्र उत्पन्न थाय, अने स्त्रीनें रक्त वधारे होय तो पुत्री उत्पन्न थाय; वीर्य अने रक्त उन्नय सम नागे होय तो नपुंसक संतान प्राप्त थाय; आ वात प्रनुना शब्दोमां होवाथी हुँ तेने मानपूर्वक वखाणुं बुं. मध्यम गर्न होय रेवतीमा रे, जन्मे मूलक मूल ॥ श्रवणपंचक दश रोगथी रे, गर्न फूल अनमूल ॥३०॥ रेवती नक्षत्रमा जो गर्न रहे तो ते मध्यम थाय, मूल नक्षत्रमा जन्मे तो उत्तम थाय, अने जो श्रवणपंचकमां जन्मे तो ऋ०२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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