Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 26
________________ (२४) रतुवंती खातां जोजन वध्यु रे, ढोरने लावी नाखे ॥ नव बार जुमा करवा पडे रे, चंद्र शास्त्रनी साखे ॥६॥ चंड शास्त्रनी सादीए कहेवू पमे के इतुवंती स्त्रीना जाणामां जे नोजन वध्युं होय ते जो ढोर ढांखरने खावा देवामां आवे तो बार जव लुमी रीते नमवा पमे. रजस्वला वहाणे समुजमा रे, बेसतां वहाण डोले ॥ नांगे कांलागे तोफानमा रे, माल वामे कां बोले ॥३॥ रजस्वला बाइ जो वहाणमां बेसे तो ए वहाण पण मोलवा लागे , अने कां तो वचमां लांगी जाय रे के तेने तोफान लागे , तेथी अंदरनो माल पाणीमां वामवो पो ने अथवा वहाण डूबी जाय . लख नव जाण अजाणमां रे, लघु वमलव आठ॥ नव लाख ने वाणुं घातमां रे, एम शास्त्रनो पाठ॥६४॥ उपर कह्यो ते दोष जो जाणतां थाय तो लाख लव अने अजाएणतां पण थर जाय तो नाना मोटा आठ नव करवा पमे, अने एक लाख ने बाणुं घातो सहन करवी पसे, एवो शास्त्रनो पार . धर्मवाली नारी ना धोक्ष रे, संगमें जोजन खाय ॥ पुत्ररत्न पामे संपदा रे, देवलोकमां जाय ॥६५॥ - धर्मवाली बाई चोथे दिवसे न्हाइ धोक्ने सौ साथे नोजन करे. आवी बाइने जे पुत्र थाय ते रत्न जेवो थाय अने बहु संपत्ति प्राप्त करे एटलुंज नहीं, पण एवी बाइ आयुष्य पूरूं थये देवलोकमां जाय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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