Book Title: Pushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 15
________________ दालने उमवामां आवे ने, अथवा तो दालने फोतरांथी मुक्त करवामां आवे , ते कार्य पण रजस्वला बाइए न करवं. हिंमोले बेसवानी पण मनाइ . तंबोल खावं के धाणी दालीया शेकवा ए पण अविधेय . खत पत्र हुंडी न वांचवी रे, नामुं लेखं न सूके ॥ हसवू न बोलवू दोमवु रे, पुष्ट थाहार न मुंजे ॥१॥ ___ खत पत्र के दुमी वांचवी नहीं. तेमज नामुं ले करवानुं पण काम न करवं. हसवं, बोलवु तथा दोम, विगेरे कर्मो पण परिहरवां. पौष्टिक आहार न करवो. धातुपात्रे जोजन तजो रे, माटी काष्ठ पाषाण ॥ नोयण सोयण तेहमां रे, खाट पाट म जाण ॥२२॥ __ धातुपात्रमा लोजन करवू नहीं. माटीन, लाकमान के पाषाण- पात्र होय तो तेमां नोजन करीने पात्र क्यांश परग्वी देवु. विचार करतां एम लागे ने के धातुपात्र प्राणने संग्रही शकवानी शक्ति धरावे ने अने तेमां आकर्षक गुण रहेलो ने, तथी तेमां नोजन करवानी ऋतुवंती बाश्ने मनाश् करवामां आवी हशे. सुq होय तो लोय उपर सुवू, तेमां पण खाट पाटनो त्याग करवो. बुंद कावो तमे मत पीयो रे, मत द्यो हाथ ताली ॥ रासमंमल मत खेलजो रे, नारी होय धर्मवाली॥२३॥ __ ऋतुवंती बाइए बुंदनो कावो करीने पीवो नहीं. अर्थात् जेटला उत्तेजक पीणां ने ते वर्जवां. परस्पर हाथनी ताली देवी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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