Book Title: Purn Vivaran Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha View full book textPage 2
________________ श्री जैनतत्त्व प्रकाशिनी सभाको बिकाऊ पुस्तकें। ॥आर्योंका तत्त्वज्ञान ॥ इसमें ईश्वरके सष्टि कर्तृत्त्व और वेद प्रकाशकत्व पर विचार तथा सरकाश और उसके शब्द गण होने पर विचार ऐसे दो लेख हैं। कीमत)॥ श्राध माना । सै० २) ॥ ईश्वरका कर्तृत्व ।। इस में ईश्वर के सृष्टिकर्तृत्व का खण्डन है। की० एश पाई । सै० ।) ॥ कुरीति निवारण ॥ इस में वालविवाह, वृद्धविवाह, कन्याविक्रय, वेश्यानत्य, भातशवाजी, फलवारी और अश्लील गानको खराबियां दिखाई हैं। को०)। एसपैसा । सै०१) भजनमण्डली प्रयमभाग। जैनतत्वस्वरूपप्रदर्शन और कुरीतिनिषेधक नवीन सामयिक भजन हैं। की सै०२ ॥ जैनियों के नास्तिकत्त्व पर विचार ॥ यथा नाम तथा गुणाः। की०)। एक पैसा सै०१) ॥ धर्मामृत रसायन ॥ संसार दुःखसे संतप्त पुरुषों को सुख शान्ति दाता महौषधि। को०-) एकमा० सै०५) प्रायमत लीला ॥ इस में आर्य वेदों और सिद्धान्तोंकी पोल है। की० =) छः आना । सै०२४) ॥भजनमण्डली द्वितीय भाग। उपर्यक्त प्रकारके उत्तमोत्तम भजन हैं । की)॥ आध माना। सै०२) . ॥ भजन स्त्रीशिक्षा ॥ इसमें स्त्री शिक्षाके उत्तमोत्तम भजन हैं । को0 )। एक पैसा । सै०१) रुष्टिकतृत्व मीमांसा ॥ इसमें सृष्टिक तत्व पर उत्तम विवेचन है । को0-) एक माना। सै०५) ॥ भूगोल मीमांसा ॥ कीमत )॥ माध माना । सै२२) ॥पार्योकी मलय ॥ इसमें आर्यों के प्रलय सिद्धान्त की पोल है। को०-) एक माना । सै०५) ॥ कंवर दिग्वजय सिंह का सचित्र जीवन चरित्र और व्याख्यान॥ कीमत की पुस्तक )॥ श्राध माना । स०३) पता:-मन्त्री चन्द्रसेन जैनवैद्य-इटावा।Page Navigation
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