Book Title: Pratima Mandan Stavan Sangraha
Author(s): Amarvijay
Publisher: Chunilal Chagandas Shah

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Page 16
________________ (१६) प्रतिमा स्थापन विषये-स्तवनरमा. जिन मूरति निंदी जिणेरे, तिणें निद्या निनरान। . पूजाना अंतरायथी, जीव बंधेरे दश विध अंतराय कि ॥ सु. १९ १अंग, २उपांग, ३सिद्धांतमेरे, श्रावकने अधिकार । ... म्हाया कयबाल कम्मियां,पूजानारे ए अरथ विचार कि॥ सु. २० १जीवाभिगम, २उवाइयेरे, ३ज्ञाता, ४ भगवती अंग । ...... ५रायपसेणीमें वली, जिन पूजारे भाषी सतरह भंग कि ।। सु..२१ श्री भगवते भाषियारे, पूजानां फल सार । १हित २सुख ३मोक्ष कारण सही,ए अक्षररे मनमें अवधाराकि। सु०२२ चित्र लिषित नारी तणोरे, रूप देष्यां काम राग । तिम वैराग्यनी वासना,मनि उपजेरे देष्यां वीतराग कि ||सु० २३ श्री सय्यंभव गणधरुरे,तिमवली आद्र कुमार । प्रति कुज्या प्रतिमायकी,तिणे पाम्यारे भवसागर पार कि। सु० २४ १ दानव २ मानव ३ देवतारे, जे धरें समाकत धर्म। .. ते उत्तम करणी करें, ते न करें रे कोई कुत्सित कर्म कि । सु० २५ तीन लोक मांहे अछेरे, जिनवर चैत्य जिके वि। ...... ते पंचम आवश्यकें, आराधेरे मुनि श्रावक बेवि कि || सु० ३६ सार सकल जिन धर्मनोरे, जिनवर भाष्यों एह । लक्ष्मी वल्लभ गणि कहें, जिन वचनेंरे मत धरों संदेह कि ॥ सु० २७ ॥ इति श्री लक्ष्मी वल्लभ सूरि कृत ८ स्तवन संपूर्ण ॥ - ॥ अथ प्रतिमा विषय स्तवन ९ मा ।। जैनी है सो जिन प्रतिमा पूजनसें.मनवंछित फल पावत है । ए टेक । रावण नाटक पूजा करके, गोत्र तीर्थकर पाया है । जैनी । १॥ 'सती द्रौपदीये प्रतिमा पूजी, ज्ञाता साख भरावत है । जैनी। २ ।। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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