Book Title: Pratikramana sutra Abhinava Vivechan Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Arhant Shrut Prakashan
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२३०
પ્રતિક્રમણસૂત્ર વિવેચન-૪
| सूत्र | भ | भPL| पृष्ठ
૧૬૧ ૦૫૮
.२०
૨૫૩
२30
उत्तर
૧૬૯ २33
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प्राइत श६ | संस्कृत ३५iतर उड्ड(दिसा) उर्ध्वदिशा उड्ड(लोअ) उर्ध्वलोक उड्ड(लोअ) उर्ध्वलोक उत्तम
उत्तम उत्तर उत्तरगुण
उत्तरगुण उत्तरगुण
उत्तरगुण उत्तरीकरण उत्तरीकरण उत्तिंग
उत्तिंग उदायग
उदायन
उद्गत उद्दविय अवद्रावित
उद्भव उद्यततम उद्यता उपसर्ग उपाध्याय
उपाध्याय उभयट्ठा
उभयार्थ उम्मग्ग अल्लूकरण
त्रोटन उवएस
उपदेश उवएस
उपदेश उवओग उपयोग उवगय
उपगत उवज्झाय
उपाध्याय उवज्झाय
उपाध्याय उवटुंत
उद्वर्तमान उवभोग
उपभोग उवभोगपरिभोग उपभोगपरिभोग उवरिभासा
उपरिभाषा उवलब्भ
उपलभ्य उववूह
उपबृंहा उवसग्ग
उपसर्ग
૨૪૯ ૧૬૯ १६० ૧૨૪ 3०० ૧૬ ૩ 3०० ૦૭૫ ०८४ ०८४ ૦૬૫ ૨૧૪ ૧૨૬ ૨૩૨ ૦૯૯ ૧૩૭ ૧૪૯ २०3 ૧૯૧ ०८८
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उन्मार्ग
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૨૦૨
૧૬૮
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૨૮૦ १७० ૨૬૫ ०६९

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