Book Title: Pratikramana sutra Abhinava Vivechan Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Arhant Shrut Prakashan

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Page 236
________________ ૨૩૫ સૂત્ર | ક્રમ | ભાગ | પૃષ્ઠ 2 w <w < ४७ < 34 P શબ્દસૂચિ પ્રાકૃત શબ્દ | સંસ્કૃત રૂપાંતર | कामभोगआसंसा । कामभोगाशंसा काय काय काय काय कायकिलेस कायक्लेश कायदुक्कड कायदुष्कृत कायपडिलेहा कायप्रतिलेखा કાયા कारण कारण कारावण कारण कारवेमि कारयामि कारवेमि कारयामि काल काल काल काल काल काल काल काल कालयसूरि कालकसूरि कालाइक्कमण कालातिक्रमण काही करिष्यति किच्च कृत्य किच्च किच्च-अकरण कृत्य-अकरण कित्तइस्स किर्तयिष्य कित्तिय किर्तित किन्नर किरण किरण किलंत क्लान्त किलाम क्लम किलामिया क्लामिता કીર્તિ कीर्ति कीर्तिवर्द्धनि कीर्तिवर्धनी ૨૨૦ ૧૯૦ ०२3 ૨૮૦ 033 ૨૦૨ ૧૮૬ १०3 ૦૯૫ ૧૦૮ २६० ૧૭૦ ૦૫૩ ૨૫૧ ૨૦૭ ૨૪૫ ૧૨૫ ૨૦૭ ૨૪૬ ૨૫૯ ૧૪૯ ૨૫૯ ૨૦૫ २३० ૧૭૪ ૨૮ ૩૫ ૩૫ ४८ 34 34 ૩૫ कृत्य ૫૦ P<<<<Pww« MPPw.www.ww किन्नर ૧૦૧ ૦૨૫ ૦૨૪ १६3 ૧૫૪ ૦૮૫ ૦૮૫ ૧૩૨ ૨૨૦ कुंति कुन्ति कुंथु कुन्थु

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