Book Title: Pratikramana sutra Abhinava Vivechan Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Arhant Shrut Prakashan

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Page 293
________________ ૨૯૨ પ્રતિક્રમણ સૂત્ર વિવેચન-૪ | सूत्र | 4 | म पृष्ठ संस्कृत ३पांतर १33 પ્રાકૃત શબ્દ समिअ समिई समिई समिई १33 <.. ૨૭૦ 34 ૨૨૯ પ૧ १५3 ૧૪૬ १४3 ०४७ ૦૮૫ ૦૮૫ समुन ૨૬૬ सम्म सम्मत्त सम्मत्त सम्मत्त सम्मत्त सम्मत्त-अइआर सम्मदिट्टि सम्मद्दिट्टि सम्मद्दिट्ठि सम्माण समित समिती समिती समिती સમિતિ समिहित समीर समुद्र सम्पत् सम्पत्वर्द्धनि सम्यक् सम्यक्त्व सम्यक्त्व सम्यक्त्व सम्यक्त्व सम्यकत्व-अतिचार सम्यत्र्दष्टि सम्यग्दष्टि सम्यग्दष्टि सन्मान सम्यग्दष्टि शत स्वयंसम्बुद्ध सतत सकल शतसहस्त्र <ww.www << P<www <<ww <<< ०७८ ૧૨૧ ૧૩૯ ૨૧૪ ૧૨૧ ૨૦૮ ૨ ૩૦ ૨૫૮ ૧૧૨ ०८४ 303 ૦૨૬ ૦૨૯ ૧૦૮ ૨૫૪ ૦૭૫ ४ . सय सयंसंबुद्ध सयय सयल सयसहस्स सया सया 34 सदा १७ सदा ૧૩૬ ૧૭૫ सर ૧૩૪ ५४ २०७ सरण सरण सरणद सरदहतलायसोस सरस शरण शरण शरणदा सरद्रहतडागशोष १3 ૩૫ 036 ૧૭પ. १०० सरस ४८

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