Book Title: Pratikraman Sutra Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 5
________________ पोसहपारवानो विधि. 'जो मे राश्यों तथा सवस्स वि राश्य कही पन्नास होय तो वांदणां बे दे वां. पडी अहिउँ खामवो. खामीने वांदणां बे देवां अने पच्चरकाण करवू. त्यार पड़ी कालना देव वांदवा. पाली वखतें पमिलेहण करे, तेशरियावही, पमिकमी पड़ी गमणागमणे आलोउं ? कही, इरियासमिति, नाषासमिति एषणासमिति, आदानमनिकेवणासमिति, पारिष्ठापनिका समिति, मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति. ए पांच समिति, त्रण गुप्ति, ए श्राप प्रव चन मातातणी पोसह सामायिक लीधे खमण विराधना थर होय, ते सवि मन, वचन कायायें करी मित्रा मि उक्कडं. श्छामिण श्वाकाण पमिलेहण करूं ? श्वामिण श्लाका पोसहशाला प्रमाणु ? एम कही मुहपत्ति, कटासणुं, चरवलो पडिलेहवा. पड़ी श्वामि श्वाकारि लगवन् ! पसाय करी पमिलेहणा पमिलेहावोजी. श्वामि श्छाका उपधि मुहपत्ति पनि खेहवी. श्वामि श्वाका सद्याय करुं ? एम कही एक नवकार गणीने मन्ह जिणाणंनी सद्याय कहेवी. जो जम्या होय तो वांदणां देश पञ्च काण करे. अने जो जम्या न होय तो खमासमण देश पञ्चरकाण करे. पड़ी श्वामि० श्बाका उपधि संदिसाडं, श्वामि० श्लाका उपधि पनि खेडं ? एम कही जेटलां वस्त्र होय, तेटलां पमिलेहे, पनी देव वांदी प्रति क्रमण करे अने पढ़ी पोसह पारी नवकार गणी सागरचंदो कहे. प्रजातना पोसह लीधेलाने रात्रं पोसह सेवानो विधि. प्रजातनो पोसह लेवानो विधि बे, ते प्रमाणे खमासमण देश शरियावहियाथी यावत् बहु वेल करशुं, त्यां सुधी कहे. पण पोसहना पञ्चरकाणमां फेर बे, ते शेष दिवसमा अहोरत्तं पद कहे. पड़ी खमासमण देश रियावहि पमिकमी श्वामि० श्लाका डिल पमिलेहुँ ? एम कही मामलां चोवीश करे. ___ सांजे नवीन पोसह लेवानो विधि. उपवासादि जघन्य एकासणुं कसुहोय तो तेणे लेवाय. खमासमण देशरियावही पमिकमी पमिलेहण करे, खमा समण देश् शरियावदियी यावत् बहु वेल करशुं त्यां सुधी. पठी श्वामिण श्बाका पमिलेहण करुं ? एम कही श्वामिण श्छाका पोसहशाला प्रमा र्जु ? कही मुहपत्ति पमिलेहवी. श्वामिण श्चकारि नगवन् ? पसाय करी पमिलेहणा पमिलेहावो जी. एम कही श्छामि श्वाका उपधि मुहपत्ति पमिखेडं ? कही मुहपत्ति पमिलेहवी. परी श्वामिण श्छाका स Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 620