Book Title: Prasamrati Prakarana
Author(s): Umaswati, Umaswami, Mahesh Bhogilal, V M Kulkarni
Publisher: Nita M Bhogilal & Others

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Page 134
________________ प्रशमरति 116 ईषद् हस्वाक्षरं पञ्चकोदगिरणमात्रतुल्यकालीयाम्। संयमवीर्याप्तबल : शैलेशीमेति गतलेश्य : ॥२८३॥ पूर्वरचितं च तस्यां समयश्रेण्यामथ प्रकृतिशेषम्। समये समये क्षपयत्यसंख्यगुणमुत्तरोत्तरत : ॥२८४॥ चरमे समये संख्यातीतान्विनिहत्य चरमकर्मांशान्। क्षपयति युगपत् कृत्स्नं वेद्यायुर्नामगोत्रगणम्॥२८५।। सर्वगलियोग्यसंसारमूलकरणानि सर्वभावानि। औदारिकतैजसकार्मणानि सर्वात्मना त्यक्त्वा ॥२८६॥ देहत्रयनिर्मुक्त : प्राप्यर्जुश्रेणिवीतिमस्पर्शाम्। समयेनैकेनाविग्रहेण गत्वोर्ध्वमप्रतिघ : ॥२८७॥ सिद्धिक्षेत्रे विमले जन्मजरामरणरोगनिर्मुक्त: । लोकाग्रगत : सिध्यति साकारेणोपयोगेन ॥२८८॥

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