Book Title: Prasamrati Prakarana
Author(s): Umaswati, Umaswami, Mahesh Bhogilal, V M Kulkarni
Publisher: Nita M Bhogilal & Others

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Page 138
________________ प्रशमरति 12 योगप्रयोगयोश्चाभावात्तिर्यग् न तस्य गतिरस्ति। सिद्धस्योर्ध्वं मुक्तस्यालोकान्ताद्गतिर्भवति ॥२९३।। पूर्वप्रयोगसिद्धेर्बन्धच्छेदादसङ्गभावाच्च । गतिपरिणामाच्च तथा सिद्धस्योर्ध्वं गति : सिद्धा ।।२९४।। देहमनोवृत्तिभ्यां भवत : शारीरमानसे दुःखे । तदभावस्तदभावे सिद्धं सिद्धस्य सिद्धिसुखम् ।।२९५।। यस्तु यतिघंटमान : सम्यक्त्वज्ञानशीलसंपन्न : । वीर्यमनिहमान : शक्त्यनुरूपं प्रयत्नेन ॥२९६।। संहननायुर्बलकालवीर्यसंपत्समाधिवैकल्यात् । कर्मातिगौरवाद्वा स्वार्थमकृत्वोपरममेति ।।२९७।। सौधर्मादिप्वन्यतमकेषु सर्वार्थसिद्धिचरमेषु । स भवति देवो वैमानिको महर्द्धिद्युतिवपुष्क : ॥२९८।।

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