Book Title: Prasamrati Prakarana
Author(s): Umaswati, Umaswami, Mahesh Bhogilal, V M Kulkarni
Publisher: Nita M Bhogilal & Others

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Page 136
________________ प्रशमरति 118 सादिकमनन्तमनुपममव्याबाधसुखमुत्तमं प्राप्त : । केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शनात्मा भवति मुक्त ः ॥२८९॥ मुक्त : सन्नाभाव : स्वालक्षण्यात्स्वतोऽर्थसिद्धेश्च । भावान्तरसंक्रान्ते : सर्वज्ञाज्ञोपदेशाच्च ।।२९०॥ त्यक्त्वा शरीरबन्धनमिहैव कर्माष्टकक्षयं कृत्वा । न स तिष्ठत्यनिबन्धादनाश्रयादप्रयोगाच्च ।।२९१।। नाधो गौरवविगमादशक्यभावाच्च गच्छति विमुक्त :। लोकान्तादपि न परं प्लवक इवोपग्रहाभावात् ।।२९२।।

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