Book Title: Prasamrati Prakarana
Author(s): Umaswati, Umaswami, Mahesh Bhogilal, V M Kulkarni
Publisher: Nita M Bhogilal & Others
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प्रशमरति
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सूक्ष्मक्रियमप्रतिपाति काययोगोपयोगतो ध्यात्वा । विगतक्रियमनिवर्तित्वमुत्तरं ध्यायति परेण ॥२८०।।
चरमभवे संस्थानं यादृग्यस्योच्छ्रयप्रमाणं च। तस्मात् त्रिभागहीनावगाहसंस्थानपरिणाह : ॥२८१।।
सोऽथ मनोवागुच्छ्वासकाययोगक्रियार्थविनिवृत्त : । अपरिमितनिर्जरात्मा संसारमहार्णवोत्तीर्ण : ।।२८२।।
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