Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana Author(s): Darshankalashreeji Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP View full book textPage 5
________________ समर्पण पुष्पांजली मेरी असीम आस्था की हर किरण जिस सूरज से प्रगटित हुई, मेरी श्रद्धा की सौरभ जिस सुमन में सुरभित हुई मेरी चिन्तनधारा जिस महासागर से प्रवाहमान हुई मेरी जीवन यात्रा जिससे सन्मार्ग की ओर गतिशील हुई ऐसे मेरे परम उपकारी श्रद्धाकेन्द्र परम पूज्य राष्ट्रसन्त, सुविशाल गच्छाधिपति श्रीमद्विजय जयन्तसेनसूरीश्वरजी म.सा. के पावन पाद पद्मों में सादर सस्नेह समर्पित......... चौबीसवें आचार्य-पाटोत्सव की सुन्दर सुमधुर स्मृति में..... जीवेत् शरदः शतम्। की मंगलभावना के साथ "त्वदीयं तुभ्यं समर्पयामि" गुरु चरणरजसा. डॉ. दर्शनकलाश्री Jan Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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