Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 3
________________ || ॐ अहँ नमः।। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः।। प्रातः स्मणीय प्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीगुरुभ्यो नमः।। प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) लाडनूं पीएच. डी. उपाधि प्राप्त दिव्यातिदिव्य आशीर्वाद विश्वपूज्य प्रातः स्मरणीय श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. आशीर्वाद राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्रीमद्विजय जयंतसेनसूरीश्वरजी म.सा. प्रेरणा साध्वीजीश्री शशिकला श्रीजी म.सा. निर्मात्री साध्वी डॉ. दर्शनकलाश्री प्रकाशक श्री राजराजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट जयंतसेन म्यूजियम, मोहनखेड़ा (राजगढ़) धार, म.प्र. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jairialibrary.org

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