Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 2
________________ यत्किंचित पतन से उत्थान, चरमसेपरम, उदय से विकास एवं बीन से वटवृक्ष बनने की प्रारम्भिकता क्रमशः उत्तरोत्तर गुणस्थान की ओर ले जाती है। जिसका अध्ययन, मनन एवं चिन्तन के बाद में आलेखित किया गया है मेरी कलम से। तो प्रस्तुत है पाठकों के सन्मुख! प्रेषित है अध्ययनार्थी शोध प्रबन्धकों के लिए... यह तो एक है सागर में से गागर, सिंधु में से बिन्दु के रूप में प्रयास है मेरा.. साध्वी डॉ. दर्शनकलाश्री Jain Education International CURE rainelibraindic

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