Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Atmaram Jain Model School

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Page 411
________________ r ioriasisamadi Hindi.immeditimate प्राकृतधातूनामनुक्रमणिका धातुपाठः "प्राकृतधातुः सूत्रांक प्राकृतधातुः सूत्रांकः प्राकृतधातुः सूत्रांकः अवज्जस (पम्) ४/१६२ पालुङ (दह.) ४२०८ अयवच्छ (दृश) ४/१५१ श्रावुक्क (विज्ञप) ४३८ प्रथयज्झ (दश्) ४/१८१ आसङ्घ (संभावि) ४/३५ ममतोकिए) ४१५८ अषयास (श्लिष) ४/१९० माह (काङ्क्ष) ४/१९२ अबसेह (गम्) ४/१६२ आहोड (तड्) ४२७ अन्य रास) ४/१०० अवसेंह (नए) ४/१७८ इच्छ (इ) ४२१५ अवह (रच्) ४/९४ उक्कुस (गम्) ४१६२ अवहर (गम्) ४/१६२ उक्खुद्ध (तुइ) ४/११६ मवहर (नश्) ४/१७८ उग्म (उद् घट्) ४३३ ममास) ४/२१५ अवहाब (कृप) ४/१५१ उग्गह (रच्) ४/९४ (कृष्) ४/५८७ अबहेड (मुच्) ४९१ उम्घुस (मृज) ४१०५ मा (क) ४/११९ अवुक्क (विज्ञप्) ४३८ उस नि, द्रा) ४/१२ म (अटु) ४/२३० अहिजल (दह्) ४२०८ उत्था (उद् नम्) ४/३६ अहिपचुआ (पाट गम्) ४/१६३ उत्था, क्षिप्) ४/१४४ मराब कृष्) ४/१८७ अहिपश्चुअ {ग्रह) ४/२०९ उस्था (रुध्) ४/१६६ अहिरेम (पूर) ४१६९ उत्थार (आङ्क्रम्) ४१६० अहिलङ्गकाश्) ४१९२ अत्यल्ल (उत् शल्) ४१७४ अप (संदिश्) ४/१८० अहिल () , उद्दाल (प्राङ् छिद) ४१२५ मम्भिर (संगम) ४१६४ आमड्ड (व्या ५) ४८१ उदमा (पुर) ४१६९ समत (प्रदीप) ४/१५२ आइग्ध {प्राङ् धा) ४१३ उपाल (क) ४२ आइ (कृष्) ४१५७ उप्पेल (उद् नम्) ४३६ (कृष) ४/१५७ आउ (मस्ज) ४१०१ उभाव (रम्) ४:१६८ मालय (उत् क्षिप्) ४१४४ आस्क (आङ् चक्ष्) ४२२७ । उन्भुत (उद् क्षि) ४/१४४ मास्मिन (उप सूप) ४१३९ आढप्परम्) ४२५४ उम्मच्छ (क) ४९३ उम्मथ (अभ्याइ गम्)४/१६५ आयझ (वेप्) ४१४७ माली (माङ्ली).४/५४ आयम्व .),, उल्लाल (उद् नम्) ४३६ मयमान (दश) ४/१८१ आरोअ (उद् लस्) ४/२०२ उत्तुषक (तुड़) ४११६ भाववाच्छ (लाद) ४/१२२ पारोल (पुज) ४१०२ उल्लुण्ड विरिच्) ४/२६ भरवास (दृश) ४११८१ आलिह (स्पृश्) ४/१८२ आलुज (स्पृश्) ४१८३ उचहत्य (समा रच्) ४/९.५ महयातुपाठ भावनगर से प्रकाशित प्रास-याकरण [अष्टमाध्यायसूत्रपाठ] से साभार उद्धृत किया गया है। भामा ra

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