Book Title: Prakrit Vidya 1998 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 2
________________ आवरण पृष्ठ के बारे में स्वनामधन्य साहू अशोक कुमार जी जैन का संक्षिप्त जीवनवृत्त माता-पिता : स्व० श्रीमती रमारानी जैन एवं स्व० साहू श्री शान्ति प्रसाद जी जैन जन्म-तिथि : 05 मार्च 1934 ई० शिक्षा : कलकत्ता विश्वविद्यालय। स्वभाव : शांत, उदार, मृदुभाषी, क्षमाभावी, गंभीर विचारक एवं सुयोग्य नेतृत्व गुण-सम्पन्न । विश्वविख्यात श्रेष्ठी एवं भारतीय उद्योग-व्यापार जगत् के विशिष्ट व्यक्तित्व होते हुये भी निरभिमानता एवं निश्छलता आपके व्यक्तित्व की अद्भुत विशेषता थी। सीमित एवं विनम्र शब्दों में स्पष्टत: अपनी बात अभिव्यक्त करने की आश्चर्यकारी क्षमता आप में थी। कार्य : भारतीय उद्योग एवं व्यापार-जगत् के साथ-साथ लोकतन्त्र के चतुर्थ स्तम्भ पत्रकारिता के क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित 'टाइम्स प्रकाशन-समूह' के चेयरमैन आप रहे। भारतीय ज्ञानपीठ' जैसी यशस्वी संस्था आपके नेतृत्व में नये क्षितिजों को छू सकी। बैकिंग के क्षेत्र में 'टाइम्स बैंक' की स्थापना कर आपने निजी बैंकिंग-सेवा के क्षेत्र में एक मील के पत्थर' की भाँति नये आयाम विकसित किये। समाज की प्रमुख संस्थाओं के आप संरक्षक, अध्यक्ष आदि प्रमुख पदों पर रहे तथा अनेकों यश:पुंज कार्य आपके नेतृत्व में सम्पन्न हुये। विशेषत: सम्मेदशिखर जी क्षेत्र में हुये युगान्तरकारी कार्य आपके कुशल नेतृत्व एवं पैनी सूझबूझ से ही संभव हो सके हैं। सद्य-भावना : जीवनभर अनेकों यशस्वी कार्यों को करने के बाद अब आप दि० जैन तीर्थों, विशेषत: सम्मेदशिखर जी के लिए आप तन-मन-धन से समर्पित थे। साथ ही दिगम्बर जैन आगमग्रंथों की भाषा एवं भारत की प्राचीनतम जनभाषा 'शौरसेनी प्राकृत' के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए भी कृतसंकल्प थे। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय) नई दिल्ली-110016 में प्राकृतभाषा विभाग के लिए स्वतंत्र भवन बनवाकर देने के लिए बेहद प्रयत्नशील थे; ताकि नयी पीढ़ी इस भाषा को पढ़ सके। वे इस भाषा के विद्वानों को सम्मानित व प्रोत्साहित करने के लिए भी कई योजनाओं का प्रवर्तन करना चाहते थे।

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