Book Title: Prakrit Sahitya ki Roop Rekha Author(s): Tara Daga Publisher: Prakrit Bharti AcademyPage 11
________________ के पत्राचार पाठ्यक्रम वाला विश्व प्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है, जिसे अब पाँच वर्ष का करने की प्रक्रिया चल रही है। इस तीर्थ का वैशिष्ट्य है कि दर्शनार्थी मात्र जैनी न होकर जाति व धर्म के भेदों से ऊपर उठकर सभी वर्ग के श्रद्धालु तीर्थ पर दर्शनार्थ आते हैं। चाहे बाढ़ हो या अकाल या संक्रामक बीमारियाँ अथवा अन्य प्राकृतिक आपदा जैसे तूफान तथा भूकम्प एवं राष्ट्रीय सुरक्षा आदि कार्यो में इस तीर्थ ने मानव व प्राणी मात्र की सेवा कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया एवं क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को अक्षुण्ण बनाये रखा। ___ कला और संस्कृति की धरोहर को संजोकर रखने के लिए प्राचीन मन्दिरों के जीर्णोद्धार कराने का कार्यक्रम कई वर्षों से अबाध गति से चल रहा है। तीर्थ की गौशाला राजस्थान में अपना विशिष्ठ स्थान रखती है। कुल मिलाकर तीर्थ द्वारा मानव-सेवा, शिक्षा, चिकित्सा, जीवदया, संस्कार निर्माण के अनेकानेक कार्यकलाप संचालित किये जा रहे हैं। शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन - तीर्थ के आधुनिक विकास के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में तीर्थ का शताब्दी वर्ष दिनांक 12/10/03 को शुभारम्भ किया गया और दो वर्ष तक धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं तीर्थ विकास के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कई नई योजनाएं बनाई गई, जिनकी ट्रस्टमण्डल ने गत् संघ सभा से पुष्टि करवाकर क्रियान्वयन का प्रयास प्रारम्भ कर दिया है। प्रसंगानुसार कई धार्मिक कार्यक्रम खूब उल्लास एवं उमंग के साथ मनाये गये। इस अवधि में तीर्थ की ख्याति के साथ-साथ यात्रियों का आवागमन भी बढ़ा। अन्य प्रस्तावित कार्यक्रमों की क्रियान्विती भी योग्य समय पर की जायेगी। शताब्दी वर्ष की दो वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर शताब्दी वर्ष का समापन समारोह की उद्घोषणा दिनांक 25/12/05 को सांस्कृतिक संध्या के आयोजन के साथ की गई। चम्पालाल पारख अध्यक्ष श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगरPage Navigation
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