________________ 54. वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य - सं. एवं अ. डॉ. कमलचन्द सोगाणी, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर। 55. वज्जालग्गं-- र. जयवल्लभ, सं. प्रो. माधव वासुदेव पटवर्धन, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद / 56. वाकपतिराज की लोकानुभूति - सं. एवं अ. डॉ. कमलचन्द सोगाणी, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर। 57. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र (भाग 1, 2. 3. 4) - सं. मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर। 58. शौरसेनी प्राकृत भाषा एवं व्याकरण - ले. डॉ. प्रेमसुमन जैन, भारतीय विद्या प्रकाशन दिल्ली। 59. समणसुत्तं-चयनिका - सं. एवं अ. डॉ. कमलचन्द सोगाणी, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर। 60. समयसार-चयनिका -- सं. एवं अ. डॉ. कमलचन्द सोगाणी, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर। 61. समराइच्चकहा (भाग-1, 2) - र. आ. हरिभद्र, सं. एवं अ. डॉ. रमेशचन्द्र जैन, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन / 62. स्वयम्भूछन्द - सं. प्रो. एच.डी. वेलणकर, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। 63. हेमचन्द्र प्राकृत व्याकरण, (भाग 1-2) व्याख्याता- श्री प्यारचन्द जी महाराज, श्री जैन दिवाकर-दिव्य ज्योति कार्यालय, मेवाड़ी बाजार, ब्यावर / 64. हेम-प्राकृत-व्याकरण-शिक्षक - ले. डॉ. उदयचन्द्र जैन, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर। 65. त्रीणि छेदसूत्राणि - सं. मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर / 66. ज्ञाताधर्मकथांग - सं. मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर। पत्रिका 67. जिनवाणी (जैनागम साहित्य-विशेषांक 2002 अंक 1, 2, 3, 4) - सं. डॉ. धर्मचन्द्र जैन, सम्यग्ज्ञान, प्रचारक मण्डल, जयपुर।