Book Title: Prakrit Katha Sahitya Parishilan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur
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आगम ग्रन्थों के, धर्म-दर्शन के शास्वत सत्यों को विभिन्न रूपकों, दृष्टान्तों एवं कथाओं के माध्यम जन-जीवन तक पहुँचाना, प्राकृत साहित्यकारों का प्रमुख लक्ष्य रहा है। प्राकृत की विभिन्न कथाएं पाठक को आनन्दित तो करती ही हैं, उसके जीवन को आलोकित भी करती हैं। उसे भारत की सांस्कृतिक सम्पदा से परिचित कराती हैं। प्राकृत कथा-साहित्य के स्वरूप, उसके प्रतिपाद्य एवं आधूनिक जीवन में तारतम्य को शोधपूर्ण किन्तु ललित शैली में उपस्थित किया गया है प्रस्तुत पुस्तक में ।
'प्राकृत कथा-साहित्य परिशीलन' नामक प्रस्तुत कृति डॉ. प्रेम सुमन जैन द्वारा प्रणीत विभिन्न शोधपूर्ण एवं चिन्तनप्रधान साहित्यिक लेखों का एक गुलदस्ता है, जिसकी महक पाठक को प्राकृत साहित्य की सरस कथाओं के प्रमुख अभिप्रायों से परिचित कराती है। यह पुस्तक द्वितीय पुष्प है लेखक के प्रस्तावित ग्रन्थ चतुष्टय गुच्छक का, जो शीघ्र प्रकाश्य है।
मूल्य : 95.00
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