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धीरो . ठक्कुरसंघस्स दुट्ठवग्गस्स
अव्यय
(धीर) 1/1
= धीर पुरुष [(ठक्कुर)-(संघ) 6/1] . = मुखियाओं के समूह का [(दुट्ठ) वि-(वग्ग) 6/1] __ = दुष्ट समूह का (ठा) वकृ 2/1 ‘ठा' के आगे संयुक्त अक्षर = स्थिर रहता हुआ (न्त) के आने से दीर्घ स्वर हस्व स्वर हुआ है।
= किन्तु (दा) व 3/1 सक
= करता है (जुज्झ) 2/1
= विरोध . (ठाण) 7/1
= स्थान पर (ठाण) 7/1
= स्थान पर (जस) 2/1
= यश को . (लह) व 3/1 सक
= प्राप्त करता है
ठाणे
जसं
लहइ
जड़
अव्यय
नत्थि
अव्यय
गुणा
(गुण) 1/2 वि
열
의
월
कुलेण गुणिणो
अव्यय (किं) 1/1 सवि (कुल) 3/1 (गुणी) 4/1 वि (कुल) 3/1
= उच्च कुल से = गुणी के लिए
कुलेण
= उच्च कुल से
अव्यय
अव्यय
= प्रयोजन
कज्जं कुलमकलंक'
(कज्ज) 1/1 [(कुलं)+ (अकलंक)] कुलं' (कुल) 2/1 अकलंक' (अकलंक) 2/1 वि
= कुल पर , कलंक रहित
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-137)
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग -2
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