Book Title: Prakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 167
________________ सव्वाणि (सव्व) 2/2 सवि (त) 2/2 सवि [(हिंसा)-(फल) 2/2] (जीव) 6/1 (जाण) विधि 2/1 सक - सभी को = उनको = हिंसा के फल ताणि हिंसाफलाणि जीवस्स जाणाहि = जीव की = जानो 9. कक्कस्सवयणं . णिट्ठरवयणं पेसुण्णहासवयणं [(कक्कस्स) वि-(वयण) 1/1] = कर्कश वचन [(णिठर) वि-(वयण) 1/1] = कठोर वचन [(पेसुण्ण) वि-(हास) वि- (वयण) 1/1] = चुगली व हास्य वचन अव्यय अव्यय = जो अव्यय = कुछ भी .. (विप्पलाव) 1/1 = निरर्थक वचन [(गरहिद) वि-(वयण) 1/1] = निन्दित वचन (है) (समास) क्रिविअ 3/1 संक्षेप से किंचि विप्पलावं गरहिदवयणं समासेण 10. परुसं = कठोर कडुयं = कड़वा वयण (परुस) 1/1 वि (कडुय) 1/1 वि (वयण) 1/1 (वेर) 2/1 (कलह) 2/1 3वचन = बैर को = कलह को ला अव्यय = तथा = जो भयं कुणई उत्तासणं (ज) 1/1 स (भय) 2/1 (कुण) व 3/1 सक (उत्तासण) 2/1 = भय को = उत्पन्न करता है = त्रास को = और च अव्यय 1. पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 745 160 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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