Book Title: Prakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 176
________________ जलबुब्बुदो व्व अधुवाणि हंति सव्वाणि ठाणाणि 26. एगम्मि दु उणणं पिण्डणं to व संजोगो परिवेसो व अणिच्चो. इस्सरियाणा धाणारोगं 27.. . इन्दियसामग्गी वि. - अणिच्चा संझा व होइ जीवाणं Jain Education International [ (जल) - (बुब्बुद) 1 / 1] अव्यय (अधुव) 1 / 2 वि (हु) व 3/2 अक (सव्व) 1/2 वि (ठाण) 1/2 (रत्ति) 2/1 (एग ) 7/1 वि (दुम) 7/1 (सउण) 6/2 ( पिण्डण ) 1 / 1 अव्यय ( संजोग ) 1 / 1 • (परिवेस) 1/1 अव्यय ( अणिच्च) 1 / 1 [(इस्सरिय) + (आणा)+ (धाण) + ( आरोग्गं ) ] [(इस्सरिय)-(आणा)-(धाण ) - ( आरोग्ग) 1 / 1 ] [(इन्दिय) - (सामग्गी) 1/1] अव्यय (अणिच्च) 1/1 वि ( संझा ) 1 / 1 अव्यय (हो) व 3/1 अक (जीव) 6/2 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 = जल के बुलबुले = की तरह = अस्थिर : होते हैं = समस्त = स्थान = = रात को = एक = : वृक्ष पर = पक्षियों के = समूह = की तरह = संयोग = : बादलों से सूर्य चन्द्र को ढकने की प्रक्रिया = की तरह For Personal & Private Use Only = अनित्य = ऐश्वर्य, आज्ञा, धनधान्य व आरोग्य = इन्द्रिय सामग्री = भी = अनित्य = संध्या = की तरह = होती है = जीवों की 169 www.jainelibrary.org

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