Book Title: Prakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 166
________________ अव्यय सव्वसत्थाणं सव्वेसिं वदगुणाणं विंडो [(सव्व) वि-(सत्थ) 6/2] (सव्व) 6/2 स [(वद)-(गुण) 6/2] (पिंड) 1/1 (सार) 1/1 (अहिंसा) 1/1 = और = समस्त शास्त्रों का = समस्त = व्रत व गुणों का = पिण्डरूप = सार = अहिंसा = निश्चित रूप से सारो अहिंसा हु अव्यय होइ दया । दया जीववहो (जीववह) 1/1 = जीव-वध अप्पवहो (अप्पवह) 1/1 = आत्म-वध जीवदया (जीवदया).1/1 = जीव-दया (हो) व 3/1 अक = होता है अप्पणो (अप्पण) 1/1 वि = आत्म अव्यय = निश्चित रूप से (दया) 1/1 विसकंटओ (विसकंटअ) 1/1 = विषकंटक व्य . अव्यय = की तरह (हिंसा) 1/1 = हिंसा परिहरियव्वा (परिहर) विधिकृ 1/1 = त्यागी जानी चाहिए तदो. अव्यय = इसलिए होदि. .(हो) व 3/1 अक = होती है 8. जावइयाई (जावइय) 1/2 वि . = जितने दुक्खाई (दुक्ख) 1/2 = दुःख होंति (हो) व 3/2 अक लोयम्मि (लोय) 7/1 = लोक में चदुगदिगदाइं . [(चदु) वि-(गदि)-(गद) भूकृ 2/2 अनि] = चारों गतियों में व्याप्त हिंसा प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 159 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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