Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai
View full book text
________________
[१६] न्या, तस्से अव थावरे ॥५॥ तम्हा तेण न गच्छेज्जा, संजये सुसमाहिए, सश्अन्नेण म. ग्गेण, जयमेव परक्कमे ॥६॥ इंगालं च्छारियं रासिं, तुसरासिंच गोमयं, ससरख्खेहिं पाएहिं, संजयो तं नश्क्क मे. ॥७॥ न चरेज वासे वा. संते, महियाए व पतिए महावाए व वायंते, तिारच्छं संपाश्मेसुवा.॥॥न घरेज वेस सामंते, बंजचेर वसाऽणुए,बंजयारिस्तदंतस्स, होज्जात. स्थ विसोत्तियाए॥ अणायणे चरंतस्स,संसग्गी एअजिख्खणं,होज्ज वयाणं पीला, सामन्नंमि अ संसयो ॥१॥ तम्हा एयं वियाणित्ता, दोसं . ग्गइवट्ठणं, वजए वेससामंतं, मुणी एगंतमस्सिए ॥ ११॥ साणं सूइयं गाविं, दित्तं गोणं हयं गयं, संमिन्नं कलहं जुद्धं, पुरो परिवजए ॥१॥ अणुन्नए नावणए, अप्पदिठे अणाउले; दियाई जहानागं, दमइत्ता मुणी चरे ॥ १३॥ दवदवस्स न गच्छेजा, नासमाणो य गोअरे; हसंतो नाभिगच्छेज्जा, कुलं उच्चावयं सया ॥ १४ ॥

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230