Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai

View full book text
Previous | Next

Page 229
________________ [२२५] पंच परमेष्टीनुं चैत्यवंदन. अरिहंत देवा चरणनी सेवा, पंदर नेद सिद्ध प्रणमेवा । थायरिय उवज्जाय ए, सर्व साधुनुं नाम, ए पंच जोगे करु प्रणाम ॥१ बार देवलोके नव अवेकेए, पंच अनुत्तर " ताल जोगे। ती लोके जे जीन नाम, ए पंचासर अतीत अनागतने वर्तमान ए पंच जोगे करु प्रणाम.॥२॥ संप्रति काले वीश विदर उत्कृष्ट काले एकसो सित्तेर जिन नाम । श्वता जुवन जे जिनना कह्याए, शाश्वती तिमा सुनाम लश्ए, शाश्वता अशाश्वता राम, ए पंच जोगे करु प्रणाम. ॥३॥ दि' दीठा श्रवणे न सुणिया, निदान नेदा भाव जणीया। ज्ञानविमल कहे प्रनु समरथ देव भवोचव देज्यो तुम पाय सेव, ए पंचांगे के प्रणाम. ॥४॥ समाप्तम्।

Loading...

Page Navigation
1 ... 227 228 229 230