Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai
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२१९] माणिमो होइपच्छा अमाणिमो। सिट्वि व कब्ब डे बूढो, स पहा परितप्प ॥५॥ जया अथेरठ होश, समश्कंतजुवणो॥मच्छं व गलिं गलित्ता, सपना परितप्पश्॥६॥ जया अ कुकुठंबस्स, कुतत्तीहिं विहम्म ॥ इत्थी व बंधणे बद्धो, स पल्ला परितप्प३॥ ७ ॥ पुत्तदारपरिकिन्नो, मो. इसंताणसंतयो ॥ पंकोसन्नो जहा नागो, स पडा परितप्पश् ॥ ॥ अज आई गणी हुँतो, नाविअप्पा बहुस्सुओ॥जश्हं रमंतो परिआए, सामन्ने जिणदेसिए ॥ए ॥ देवलोगसमायो अ, परिबाउ महेसिंणं ॥ रयाणं अरयाणं च, महानरयसारिसो॥१०॥
अमरोवमं जाणिअ सुक्खमुत्तमं ॥ रयाण परिवाए तहारयाणं॥निरउवमं जाणिव मुक्ख मुत्तमं, रमिज तम्हा परिआइ पंडिए ॥११॥ धम्माउ नवं सिरिउववेयं, जन्नम्गि विज्झाअ. मिवप्पतेयं ॥ हीलंति णं विहिथं कुसीला,

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